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शिक्षा का अधिकार अधिनियम और अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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अखिल भारतीय अधिकार संगठन के शिक्षा के अधिकार अधिनियम २००९ की उपेक्षा पर लिखे पत्र पर केंद्र सरकार ने कहा कार्यवाही की जा रही है ………..आप सभी को बधाई और देखिये क्या लिखा संगठन में
:
PMOPG/E/2016/0276833
Name Of Complainant
:
डॉ आलोक चान्टिया फॉर अखिल भारतीय अधिकार संगठन NDF
Date of Receipt
:
05 Aug 2016
Received by
:
Prime Ministers Office
Forwarded to
:
School Education
Contact Address
:
Shastri Bhawan

New Delhi110001
Grievance Description
:
आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार मेरे पते के आधार पर इस समस्या को सिर्फ लखनऊ से केन्द्रित समझ कर निस्तारित न किया जाये जैसा ज्यादातर हो रहा है . मैंने आपको आज दिनांक ५ अगस्त २०१६ के टाइम्स ऑफ़ इंडिया लखनऊ संस्करण समाचार पत्र के पृष्ठ दो पर छपी एक खबर को संलग्न करके भेज रहा हूँ जिसके बारे में मैंने आपको व्यक्तिगत रूप से काफी समय पहले स्वयं लिखा था कि केंद्र सरकार की सबको शिक्षा के अधिकार के लिए लाये गए शिक्षा के अधिकार अधिनियम २००९ के उल्लंघन किये जाने के बारे में विस्तार से लिखा था . पर बार बार राष्ट्र के महत्व की बातों को भी केंद्र और राज्य से संदर्भित करके निस्तारित कर दिया जाता है जिससे व्यापक रूप से राष्ट्र के विकास पर ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है . मैंने आपसे बार बार कह रहा हूँ कि इस देश में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार यदि कही है तो वो है शिक्षा क्योकि आज शिक्षा ज्ञान के लिए कम लोगो के पैसे कमाने के लिए एक साधन के रूप में दी जा रही है जिस देश में आज तक साक्षरता १०० प्रतिशत नही हो सकी उस देश में लोगो के पढ़े लिखे होने की कल्पना अभी भी कोसो दूर है और ये सपना इस लिए ज्यादा डरवाना होता जा रहा है क्योकि शिक्षा को व्यवसाय का साधन बनाया जा रहा है जब तक शिक्षा के मंदिर से ये सुनिश्चित न हो जाये कि इस देश में सब उसी तरह शिक्षित हो गए जैसे ये देश पोलियो से मुक्त हो गया है पर पता नहीं क्यों सरकार इतने महत्वपूर्ण क्षेत्र को उपेक्षित कर देती है उसको संविधान के समवर्ती सूची का हवाला देकर कोई भी गंभीर कदम नहीं उठाती है महोदय शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है पर यहाँ का रहने वाला तो एक राष्ट्रीयता लेकर ही जीता है उसको पूरी दुनिया में भारतीय ही जाना जाता है और ऐसी स्थिति में भारत में रहने वाला अनपढ़ कहलाता है न की तमिल नाडू या उत्तर प्रदेश वाला कहलाता है . इस देश में नागरिक को यदि मूल भुत अवश्यक्ताओ को पूर्ण करने के लिए वांछित सुविधाए नहीं मिल रही है तो उसे भारतीय को ना मिलने वाली सुविधा के रूप में देखा जाना चाहिए और ऐसे मानवाधिकार उल्लंघन को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए . भारत सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम २००९ को सम्पूर्ण भारत के लिए लागू किया था और यदि उस अधिनियम का पालन भारत में नहीं हो रहा है तो ये भारत सरकार और संविधान के अनुच्छेद २१ अ की सीधे तौर पर उपेक्षा है और इसके लिए सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए . गाँव में रहने वाले और गरीब बच्चे इसी देश के कानून और संविधान से भारतीय है और यदि देश ने उनको अधिनयम २००९ से आच्छादित करके उन स्कूल में पढने के रास्ते खोले है जहा पर पैसे की चमक दमक के कारण एक गरीब परिवार नहीं पहुच पाता है तो उसके मानवाधिकार को सुनिश्चित करने का नाम ही अधिनियम २००९ है और जो भी सरकारी गैर सरकारी प्राइवेट स्कूल इसका उल्लंघन करते है तो उनके विरुद्ध इसको देश के विकास और प्रगति को बाधा पहुचाने वाला कृत्य मानते हुए कार्यवाही की जानी चाहिए औए इसे देश विरोधी कृत्य माना जाना चाहिए . मेरी आपसे विनती है कि आप समस्त राज्यों के हर तरह के स्कूल को कड़े शब्दों में सूचित करे कि किसी भी हालत में अधिनियम २००९ का उल्लंघन न किया जाये और यदि ऐसा किया गया या पाया गया तो इसे राष्ट्र के विरुद्ध किया गया कृत्य मानते हुए ऐसे स्कूल को बंद कर दिया जायेगा और जिन्होंने ऐसा किया है उनके विरुद्ध संविधान के अनुच्छेद १५ के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाएगी .महोदय मैं एक मानवशास्त्री हूँ और मैं इस देश को जिस नजरिये से देख रहा हूँ वो राष्ट्र के विकास के लिए बहुत जरुरी है पर मेरी सीमा यही तक है कि मैं आपको उन बातो के लिए आकृष्ट करूँ जिनसे देश एक सम्मानजनक तरीके से उन्नति कर सकता है क्योकि शासन और प्रश्न आपके क्षेत्र है जिनसे आप इस राष्ट्र में चल रही योजनाओ , कानूनों का परिपेक्ष्य और दृष्टिकोण बदल दे बस राष्ट्र एक उन्नत देश बन जायेगा . कृपया शिक्षा में फैले भ्रष्टाचार को बंद करने की कृपा करें .
Current Status
:
CASE CLOSED
Your Feedback
:
Good
Date of Action
:
23 Aug 2016
Details
:
Your concerns have been looked into and it may be noted that Central Government as well as State Governments are taking necessary action for the implementation of RTE Act.

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