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महिला का सम्मान और गर्भ निरोधक विज्ञापन

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गर्भ निरोधक विज्ञापनों को रोकने के लिए अखिल भारतीय अधिकार सगठन की पहल …………………
१४ अगस्त २०१६ को मैंने टी वी एस टायर के विज्ञापन की रोक के लिए संगठन के साथ देश के सम्मानित लोगो से अपील की थी कि अगर उनको विज्ञापन में कुछ भी गलत लगता है और वो कुछ नहीं कर पा रहे है तो वो मुझे संगठन के माध्यम से सूचित कर सकते है और मुझे ये कहा गया कि आप गर्भ निरोधक के अश्लील विज्ञापन के लिए कुछ कीजिये मैंने तुरंत प्रधानमंत्री जी को लिखा और उनके माध्यम से १६ अगस्त को मुझे निम्न सूचना दी गयी Thank you for writing to ASCI. We acknowledge the receipt of your complaint regarding ‘Manforce Condoms’ (Tracking Id- 6156931a2c87)
मैंने अपनी दलील में कहा कि देश की न्याय पालिका भारतीय औरत को एक संवेदन शील भारतीय मानती है और इसी लिए ये मानते हुए कि वो संस्कृति के कारण बहुत कुछ खुल कर नहीं कह सकती इस लिए उसको कई इम्युनिटी प्रदान की गयी है यही नहीं देश की संसद में ऐसे कानून बनाये गए जो महिला को सुरक्षा प्रदान करते है क्योकि ऐसा माना जाता है कि महिलाये कई बाते न कह पाती है और न ही उनको न्याय मिल पाता है देश का संविधान का नीति निदेशक तत्व ये कहता है कि महिला के सम्मान के लिए सभी को प्रयास कर चाहिए . यही नहीं कार्य स्थल पर यौन उत्पीडन , विशाखा वाद पर सुप्रेम कोर्ट का निर्देश सभी यही इंगित करते है कि महिला अपने संकोच और संकृति के कारण जो नहीं कह पाती है उनसे उसको उबारा जाये पर देश में गर्भ निर्धक के विज्ञापन देख लीजिये तो ऐसा लगता है मनो महिला से ज्यादा कोई निर्लज्ज है ही नहीं जिस देश में पत्नी भी सार्वजानिक स्थानों पर बच्चो के सामने अपने इधिक पति से दूर खड़ी होती है उस देश में मन फाॅर्स जैसे गर्भ निरोधक महिला को ऐसे दिखाते है जैसे पुरुष कितना सीधा हो और महिला उसको उकसा रही हो जो कम से कम इस देश में गलत है और इस लिए ऐसे विज्ञानं जो महिला के स्वाभाव और उसके व्यवहार को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हो उनको तुरंत बंद किया जाये क्योकि महिला पुरुष को उकसाती हो ऐसा सन्देश देकर हम महिला के प्रति एक नकारात्मक सोच समाज के सामने महिला की रख रहे है खैर मेरी शकायत स्वीकार कर ली गयी है और नीचे ही ऐसे स्तरहीन विज्ञापन रुकेंगे ऐसा मेरा विश्वास है अगर देश का कानून , न्यायलय, संविधान महिला को जिस रूप में परिभाषित करते है वो सही है तो …………………..आइये रक्षा बंधन पर यही प्रयास करें कि हम वास्तव में महिला को एक बेहतर समाज उलब्ध कराएँगे …………..डॉ अआलोक चन्टिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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