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बी बी सी यानि बको बको चिरकुट
आधुनिकता में सबसे ज्यादा इन्ही को कुछ भी कहने की अभिव्यक्ति है और अब बकने की इतनी हद हो गयी है कि इन चिरकुटों को अभी भी लगता है कि भारत में यदि आधुनिकता लानी है तो सपेरों की संस्कृति से बाहर आना होगा …………अब इन बक बक चिरकुट ( बी बी सी ) से पूछो कि अगर भारत के सपेरे ना होते तो एंटी वेनम ही ना मिलता आपको शायद पता हो कि देश के तमिलनाडु के बडागा जनजाति के हर पुरुष को अपने जीवन काल में कम सेकम २००० सांपो का जहर निकलने का मौका मिलता है और उसको बेच कर ही विदेशी कंपनी एंटी वेनम बनती है अब बक बक चिरकुट कि बात पर देश ओ ध्यान देना चाहिए और अपने देश से सांप के जहर को एंटी वेनम बनने के लिए देना ही नहीं चाहिए तब इन चिरकुटों को पता चएलगा कि भारत सिर्फ खुद को बढ़ने में ही नहीं बल्कि दूसरों को जीने का भी मौका देती है ………डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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