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दुर्गा जी और नव रात्रि

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दुर्गा जी देवी ही है ( व्यंग्य )
अगर दुर्गा जी ना होती तो देश में १८ दिन  (चैत्र और शरदीय नवरात्री ) लोग गेहूं और चावल ही खाते और बेचारे किसानों पर ज्यादा से ज्यादा बोझ बढ़ता एक तो वैसे ही सूखा पड़ रहा है ऊपर से खाना इस लिए कितना अच्छा है की देश के लोग दुर्गा जी के कारण कम से कम १८ दिन तो गेहूं और चावल की बचत करेंगे ( अब मैं जनता हूँ कि इस देश में ८० % आज भी हिन्दू ही है तो बचत पर बेवजह प्रश्न ना उठाइए ) और तो और सारी विदेशी कंपनी का काम ठप्प रहेगा ना मैगी बिकेगी और ना ही चॉकलेट ( गेहूं से बनती है ) काश कोई अक़्लमंद देश के लोगो को बताता कि जब लातूर में मराठवाड़ा में पानी का अकाल पड़ा है तब देश के लोगो को चार नव रात्रि ( कम लोगो को पता है कि हर तीन महीने पर नव नव दिन के नव रात्रि होते है पर प्रचलन में दो ही है ) रखना चाहिए जिससे ३६ दिन गेहूं और चावल दाल , सब्जी आदि की बचत होगी व्रत भी हो जायेगा और देश के लिए आपका सहयोग भी हो जायेगा पर आप तो व्रत इस लिए रहते ही नहीं ( कभी इस दृष्टिकोण से सोचा हो तब ना ) आप तो धर्म की स्थापना के लिए व्रत रहते है और खूब जोर शोर से रहते है क्योकि अब कृष्णा जी तो आने से रहे तो आपके कंधो पर ही तो धर्म की रक्षा है और जब जब इस देश में धर्म की हानि होगी तो भगवन आएंगे और आप ज्ञानी है क्योकि कण कण में भगवन होता है इस लिए अब आप ही भगवान का सारा काम खुद कर लेते है अब चक्र तलवार का जमाना रहा नहीं तो आप गोली बम चला लेते है और चलाये भी क्यों ना क्योकि भैंसा के सुर को दुर्गा जी ने ही बंद किया था तो आप भला भैंसा कैसे बर्दाश्त कर सकते है आप भी भैंसा सुर ( महिषासुर को भैसासुर कहूं तो चलेगा )  के ही पीछे पड़े है जीने दीजिये उनको भी हक़ है जीने का क्या संविधान में भैंसे के जीवन के अधिकार के बारे में नहीं लिखा है कुछ !!!!!!!!!!!! वैसे एक बात तो आप मान ही लेंगे आखिर आप धर्मपाल है कि दुर्गा जी अविवाहित है तो जितनी भी अविवाहित है इस देश में उनमे कभी दुर्गा जी भी आपको दिखी ( अब ये लीजिए ये भी कोई पूछने वाली बात है तभी तो आप महिषासुर बन कर देवी के पीछे भागे !!!!!! ) अगर दिखी तो आप क्यों नहीं उनको सम्मान दे पाए ( अब ये भी कोई पूछने वाली बात है हर राक्षस जनता है कि उसके कुकर्मो की सजा से तभी मुक्ति मिलेगी जब वो देवी के सथो मारा जाये )  पर आप दे भी कैसे क्योकि पानी की कमी जनसँख्या की आग में बेरोजगारी की मारामारी में कम से कम देवी के हाथो मर कर ( जब लड़की को छेडंगे तो पुलिस पकदगी जेल में डालेगी और मुफ्त में खाना मिलेगा ) कम सेकम स्वर्ग तो मिलेगा ( यहाँ स्वर्ग का मतलब जेल है ) वैसे क्या आप जानते है कि दुर्गा के देश में महिला के साथ आये दिन इतना अत्याचार क्यों है ( भैया थोड़ा खुद पढ़ी जब धर्म की हानि होगी तब भगवान जन्म लेंगे ये तो हुई एक बात और औरत तब तक कैसे पुरुषों सबक सीखा पायेगी जब तक वो महिषासुर की तरह उनके साथ कुचेष्टा ना करें इस लिए हर दिन लाखो महिला घुट घुट कर जी रही है आखिर दुर्गा बनने के लिए माहौल भी तो बनना चाहिए ) वैसे आप नवरात्री का व्रत क्यों है ( अब ये ना कहिएगा की सिंघाड़े के आटे की पूड़ी और फलाहारी आलू के लिए ) कभी तो महिला की बात पर गम्भीर होइए …….डॉ आलोक चान्टिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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