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होली का सच यही है

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होली के रंग और हम बदरंग ….(व्यंग्य)
पता नहीं किसने स्वतंत्रता के बाद भी होली का त्यौहार जारी रखा !!!!!!!!!!! तिरंगे के तीन रंग तो जी नहीं पा रहे और होली के रंगो को जीने के लिए पागल हुए जा रहे है !!!!!!!!!! जरा सा लड़की काली नहीं हुई कि काले रंग की कीमत देते देते लड़की का बाप बुध हो जाता है पर लगातार काम लड़कियों के देश में उसे एक लड़का नहीं मिल पाता है होली वाले देश में | गिरगिट की तरह रंग बदलने की बात करने वाले देश में अब मनुष्यो के बीच कब गिरगिट गायब हो गए कोई जान ही नहीं पाया शायद होली के रंग में खो गए पर आप क्यों मानने लगे आखिर होली तो त्यौहार तरह तरह रंगो से रेंज चाहेरो का है तो भला गिरगिट क्यों दिखाई देगा आखिर एक म्यान में दो तलवार कैसे हो सकती है ?????वैसे आज भी हम होली क्यों खेलते है ???? और ये क्या आपके चहरे पर काला रंग किसने लगाया ???क्या आपके चहेरे के पीछे का सच यही !!!!!!!!!! अब ये ना पूछियेगा कि बुरा ना मानो होली है क्यों कहते है ???? ( बात साफ़ है सच सुन्ना किसे अच्छा लगता है इसी लिए कहते है ) डॉ आलोक चान्टिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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