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हाफ पैंट से फुल पैंट का सफर

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हाफ पैंट से फुल पैंट तक का सफर ( व्यंग्य )
१९२५ में डॉ केसव राव बाली राव हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की | अब लगो को क्या पता कि यही वो साल था जब बजट में बटवारा किया गया और रेलवे और सामान्य बजट अलग हो गया अब जब आपके रुपये में बटवारा हो गया हो तो हम पूरी पैंट पहननने के लायक ही नहीं रह गए कोई बताये कि जब हमने अपने अर्ध नग्न स्वरुप को स्वीकार कर लिया तो आपको परेशानी !!!!!!!!!!!! शायद आपको ये भी नहीं पता कि १८०० तक विश्व का ३४ प्रतिशत विश्व व्यापार का भारत करता था पर जब देश स्वतंत्र हुआ तो देश विश्व व्यापार में ४ प्रतिशत रह गया अब आप बताइये क्या ऐसे में हम पूरी पैंट पहन सकते थे !!!!!!!!!!!!!!! अब जब हम पूरी पैंट पहनने के लायक हुए तो सबको परेशानी हो रही है !!!!!!!!!!! जी जी मैं समझ रहा हूँ कि जो आप सुन्ना चाहते है क्योकि आपको खुली टांगे देखने की इतनी आदत पद गयी है तो टैंगो के ढकने पर आप तो चिल्लायेंगे ही और चिल्लाये भी क्यों ना चलिए आपने मन तो आपको खुली टांग कितनी पसंद है अब कोई ये तो नहीं कहेगा कि इस देश में बलात्कार इतने कौन कर रहा है ???????? वही जी जिनको खुली टांगे देखने की आदत पड़ गयी है जी आपको डर है कि कही ये आदर्श देश की संस्कृति में ना घुस जाये और आप के सामने से कोई भी खुली टांग ही ना गुजरे !चलिए संस्कृति के देश में आपने माना तो कि नंगा पन कौन और क्यों बढ़ रहा था ? इतना सच तो बड़े बड़े नहीं मान पाते कि निर्भयकाण्ड के पीछे का नैतिक शास्त्र कौन संचालित कर रहा था आपने मान लिया बस यही बहुत है पर आपकी नज़र अब पुरुष की टैंगो पर भी थी ये जान कर दुःख हुआ कोई बात नहीं विश्व में कई देश परिवर्तन के दौर से गुजर रहे है आप अब इस मानसिकता को भी स्वीकार कर रहे है तो आपका साधुवाद | क्या शरीर को ढकना आपको अच्छा नहीं लगा !!!!!!!!!!!!या फिर आप अपने पाप को कह नहीं पा रहे है !!!!!!!!!!! वैसे हमाम में सभी नंगे होते है पर आपको खुद को देखने की कहा फुर्सत आप तो दूसरो की टांगो को देखने के आदी हो चुके है खैर आप कुछ भी कर सकते है आखिर देश के संविधान के अनुच्छेद १९ को आपने ही तो सब ज्यादा समझा है क्यों !!!!!!!!!!!!!!!!! इस व्यंग्य में क्या कुछ सच है !!!!!!!! आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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