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शिवरात्रि और महिला के अधिकार

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शिवरात्रि !!!!!!!!!!! या उमारात्रि
प्रजातंत्र की सबसे बड़ी शादी में शामिल होइए क्योकि चाहे जंगल हो या गाँव हर जगह दिल से भोले महादेव कुछ पत्थरों में बैठे मिल जायेंगे जब कि राम कृष्ण नहीं मिलेंगे तो हुई ना सबसे बड़ी शादी और देखिये कितना उम्दा प्रबंध है १ अरब के आस पास बाराती को बुलाना उअन्का सवागत करना कोई आसान काम तो है नहीं इस लिए शिव की शादी जहा छह वहा राह का सन्देश लेकर आई और सबको निमंत्रण दिया गया कि कोई भी शकर के तलाश में इधर उधर नहीं भटकेगा जो जहा चाहे कुछ पत्थर रख कर या जो समर्थ है वो शिव लिंग बना कर वही पर शंकर को मान कर उनकी शादी का बाराती बन कर नाचे गए भांग पिए और शादी का आनंद ले और क्या बेहतरीन सन्देश है इस हिन्दू धर्म का कि इतनी बड़ी शादी पूरे देश में बड़े धून धाम के साथ हो गयी और सबको वही आनंद मिल रहा है जो शंकर जी के साथ साक्षात मिल कर मिलता | क्या प्रजातंत्र की ऐसी धार्मिक शादी आपको विश्व में कही मिलेगी पर मुझे आज जो बात काट रही थी वो ये थी कि वैसे तो लोग कहत है कि इस देश में नारी का बड़ा मान है और इसी लिए उमापति कह कर शंकर जी को बुलाया जाता है तो फिर शादी जब शंकर और उमा की हो रही है तो शिव रात्रि क्यों !!!!!!!!!!!उमा रात्रि क्यों नहीं शायद शादी से पहले पुरुष के लिए तो रात्रि शब्द उचित है पर स्त्री के लिए नहीं और मर्यादा में भी विवाहित स्त्री के साथ रात्रि शब्द कई सन्दर्भ और प्रश्न पैदा करते है इस लिए शादी के बाद तो पुरुष का अस्तित्व महिला से गौड़ हो जाता है और वो सीता राम और उमापति के रूप में जाना जाने लगता है पर विवाह से पूर्व पुरुष कि महिला की अस्मिता का रक्षक है इस लिए शादी से पहले उमारात्रि नहीं कहते होंगे और एक बात राम चरित मानस में लिखा है कि पूरे ३७००० साल तक तपस्या करने के बाद पारवती को शिव मिले थे हो सकता है कोई अपने ज्ञान को दिखाने के लिए कहे कि पारवती जी ने ऐसे व्यक्ति से शादी क्यों की पर ये भी मान लेना चाहिए कि स्त्री के पास ये प्राकृतिक गुण है कि वो अपने योग्य वर ढूंढ लेती है भले ही उसके लिए ३७००० साल तप करना पड़े | इसी लिए अल्पायु होने की बात जानने के बाद भी सावित्री ने सत्यवान को चुना | इसी लिए इस देश में स्वयम्बर होते थे तो फिर शिव रात्रि मनाने वाले देश में क्यों नहीं लड़की को ये अधिकार दिया जा रहा है कि वो अपनी प्राकृतिक क्षमता से अपने लिए जीवन साथी का चुनाव करें शायद महिला के साथ इसी लिए इतनी परेशानियां है क्योकि हम उसके ऊपर एक पुरुष लाद रहे है और इसी लिए पार्वती के पिता दक्ष पार्वती कीपसंद से खुश नहीं थे तब भी पार्वती जी ने उन्ही से शादी की | क्या आज शिव रात्रि जैसे पवित्र दिन हम ये दर्शन समझ पा रहे है ????? क्या हम हम लड़की की इस अद्भुत क्षमता का उपयोग करके एक शिव पार्वती को स्थापित कर पा रहे है !!!!! या फिर हम लड़कियों की भावनाओ का अपहरण  करके उनको उनको गुलाम  होने का एहसास करा रहे है !!!!!!!!!!! क्या आप में इतना सहस है कि आप अपने घर की पार्वती को ये छूट दे पाये कि वो भभूत लपेटे भांग पीकर ध्यान में डूबे रहने वाले भोले भंडारी को अपना जीवन साथ बना सके या फिर हम भोले को भगवन कह कर उनके इस दर्शन से इस लिए किनारा करना चाहते है क्योकि हमको लड़की ( पार्वती ) से ज्यादा अपने सुख और इज्जत का ख्याल है | आइये लड़की के इस नैसर्गिक गुण से इस धरा शिव मई बना दे !!!!!!!!!!!!!!! क्या मैं कुछ गलत कह रहा हूँ पर मैंने भांग पी ही नहीं मैं तो आज जताओ से बहकर निकलने वाली गंगा के पवित्र स्नान में डूबा चन्द्रमा के शीतल प्रकाश में कैलाश को बदलते देख रहा हूँ क्या आप लड़की की दशा सुधारने में शिव रात्रि को कही से उपयोगी बना पाएंगे !!!!!!!!!!!!! आइये शिव रात्रि मनाये ………..डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भरित्ये अधिकार संगठन

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