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कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न

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दुनिया के तीन महत्वपूर्ण धर्म हिन्दू मुस्लिम और ईसाई पर इन तीनो ने स्वीकार किया कि सबसे आगे और पवित्र औरत ही है अगर हिन्दू धर्म में सभी शक्तियों ने महिषासुर के हार मान कर दुर्गा को अपनी समेकित शक्ति से सृजित किया तो मुस्लिम धर्म में खदीजा बानो के योगदान को नकारना किसी के लिए मुश्किल होगा अंत में ईसाई धर्म ही मरियम या मदर मेरी का ऋणी है पर सभी धर्मो में महिला के स्वरुप को स्वीकारा तो गया पर बाद में वही महिला उसी द्राम और समज में एक कैदी की तरह हो गयी बांदी दासी और ना जाने क्या क्या !!! मैं मानव शास्त्र से संदर्भित हूँ इसी लिए ए एल क्रोबेर जैसे मानवशास्त्री के अनुसार जिस संस्कृति को मानव ने अपनी सुरक्षा और उत्तरजीविता के लिए बनाया था बाद में वही संस्कृति मनुष्य पर राज करने लगी और मनुष्य उस संस्कृति का दास बन गया | अब प्रश्न ये उठता है कि क्या आज कार्यस्थल पर होने वाली यौन उत्पीड़न की घटनाओ में सस्कृति का प्रभाव बढ़ने से ऐसा हो रहा है या फिर संस्कृति का प्रभाव घटने !!!!!!!!!!!!! इसी संस्कृति के इर्द गिर्द घूमती मानव की कहानी में कार्यस्थल पर महिला के यौन उत्पीड़न पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी डॉ राजेन्द्र प्रसाद मेमोरियल गर्ल्स डिग्री कालेज लखनऊ और अखिल भारतीय अधिकार संगठन लखनऊ अपने संयुक्त तत्वाधान में १२ &१३ को जीअ शंकर प्रसाद सभागार में आयोजित कर रहा है | आशा  है कुछ अच्छे विमर्श सामने आएंगे और उनसे आपके ज्ञान में कुछ  तरक्की जरूर होगी  ……..डॉ आलोक चान्टिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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