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भारत एक देश जी नहीं संस्कृति का अड्डा और देखिये यहाँ कितना है गड्ढा .चाहे सेना हो या हो शैक्षिक संस्थान , चाहे बैंक हो या हो शेयर में जुडी तमाम आर्थिक सस्थाए और तो और चारे पर्यावरण की बात करने वाली संस्था टेरी हो या फिर तेजपाल का मीडिया हो , मेडिकल कालेज हो या भी प्रशसनिक सेवा में रुपेन बजाज का गिल का मटर हो या हो न्यायपालिका सब के सब में कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न का सबूत दे चुके है पर मैंने हमेशा कहा है कि शोध सिर्फ एक या दो घटनाओ से नहीं निर्णय नहीं लेते है उसके लिए व्यापक अध्ययन होना चाहिए हां इतना तो साफ़ है कि कल भी औरत को उपभोग की वस्तु समझा जा रहा था और आज भी हमारी मानसिकता में वो कुछ ऐसी ही है पर मनधिकार और कानून के बढ़ते दायरे में अब औरत अपनी उपभोग्तावादी जाले को फेक कर उन लोगो पर ऊँगली उठाने लगी है जो लड़की को आज भी एक ही काम का प्रतिबिम्ब समझते है और ऐसी ही सोच के साथ डॉ राजेन्द्र प्रसाद मेमोरियल गर्ल्स डिग्री कालेज तथा अखिल भारतीय अधिकार संगठन सयुंक्त रूप से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन जय शनकर प्रसाद सभागार में १२ & १३ मार्च २०१६ को कर रहे है अब तक करीब १०० शोध सारांश प्राप्त हो चुके है | आइये इस ज्वलंत विषय पर कुछ करते है | अखिल भारतीय अधिकार संगठन सिर्फ आपकी बात के लिए स्थापित हुआ है और आप से ही इसका अस्तित्व है ………डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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