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देश द्रोह और जे एन यु

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जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के कुलपति के अनुसार हर वर्ष १७ यौन उत्पीड़न की घटनाये वहां होती है यही नहीं १०४ यूनिवर्सिटीज में करीब ५० % यौन उत्पीड़न की घटना वही होती है | कितनी अजीब बात है कि अफजल हम सर्मिन्दा है ……..तेरे कातिल जिन्दा है ……का नारा लगाने वालो को कभी नाली के किनारे पड़ी मादा भ्रूण हत्या पर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने का दर्द नहीं हुआ ??? रोज देश भर में हो रहे निरोध बच्चिओं के बलात्कार और हत्या पर शर्मिंदगी नहीं हुई !!!!!!!!!!!! देश में लगातार घट रही लड़कियों कि संख्या पर राष्ट्रीय आंदोलन चलाने की जरूरत नहीं महसूस हुई | लेकिन आंतकवादियों के साथ अन्याय हुआ इसके लिए इतना पेट में दर्द है कि दवा लेने के बजाये चिल्लाने लगे | अफजल गुरु की फांसी पर ये लोग देश के सर्वोच्च न्यायलय पर ऊँगली उठा रहे है या फिर सरकार पर क्या प्रजातंत्र के नाम पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में न्याय पालिका  स्थापित कर दी जाये जो देश में फ़ैल रही अराजकता का निर्णय ले सके !!!!!!!!!!! आजदी के लिए पागल हो रहे ये लोग क्या मंगल पाण्डेय की आजादी की मिसाल बन रहे है या फिर तिरंगे के लिए मर मिटने वाले चित्तू पाण्डेय बन रहे है | ये आजदी की मांग करने वाले अपना नाम आजाद बता कर कोड़े खाकर आजाद कहलाना चाहते है या फिर देश को आजाद करने की भूख लिए रना प्रताप और रानी लक्ष्मी बाई वाली आजाद की बात कर रहे है और अगर इनकी आजादी में इन सबके नाम नहीं है तो ये देश को तोड़ने को आजादी समझ रहे है | कितने हिन्दू मुस्लमान को साथ रह कर आज भी परेशानी है ????? पूरे देश के शैक्षिक संस्थानों में पटाखे की तरह एक दो घटना करके ये दिखाने का प्रयास कीजिये कि हम चाहते है आजादी | या तो आपको चीन कि थियामिन चौक पर मारे जाने वाले वो लाखो स्टूडेंट नहीं याद है जिनको सरकार ने मरवा दिया या फिर पाकिस्तान के उस युवा के बारे  में नहीं पता  जिसको तिरंगा फ़ैलाने कि सजा मिली ???????? आप इस देश में पाक का झंडा फहराते है ..नारे लगाते है और फिर भी मस्ती से अनुच्छेद १९ संविधान का सहारा लेकर घूम रहे है .इससे बड़ा कोई प्रमाण नहीं चाहिए आपको आजादी का और अगर आजादी का मतलब आप यौन उत्पीड़न पर पूरी स्वच्छंदता चाहते है …आतंकवादियों की बात को एक दर्शन और विचार की तरह प्रस्तुत करने को आजादी मानते है तो मान लीजिये कि आपके दिमाग में कही से भी भारत की सुरक्षा और अस्मिता है ही नहीं फिर इतने स्पष्ट विचार के बाद देश द्रोह के मुकदमे पर इतनी हाय तौबा क्यों ??????? क्या जवाहर लाल नेहरू या देश की किसी भी यूनिवर्सिटी के संविधान में लिखा है कि चुकी यूनिवर्सिटी ऑटोनोमस है इस लिए इसके नादेर कोई भी राष्ट्र विरोधी बात की जा सकती है | गुरु गोविन्द सिंह जानते थे कि उनके लड़को को गलत दिवार में चुनवाया जा रहा है पर उन्होंने इस सच को स्वीकार किया कि देश बड़ा है लड़के नहीं | जिस नाम को रख कर एक व्यक्ति देश कि अस्मिता से खेल रहा है उसी नाम को ग्रहण करके भगवन कृष्ण ने कालिया और कंस से राज्य को मुक्त किया था ना कि कंस और कालिया के अत्याचारों के समर्थन में नारे लगवाये थे किस दर्शन को लेकर चल रहे है आप | देश को एक गलत व्यक्ति के लिए नारे लगा कर ना छोटा कीजिये और ना ही इस देश के निर्दोष लोगो के जीवन को संकट में डालिये काश आप ने कभी कश्मीर के पंडितों के लिए मरण अनशन तब तक किया होता जब तक उनका पुनर्वास न हो गया होता पर आपको तो देश में आतंक चाहिए और आतंक फ़ैलाने वालो के लिए सुरक्षा !!!!!!!!!!!!!!!! ऐसे ख्याल रखने वालो को स्वयं स्वीकार करना चाहिए कि उनके इरादे नेक नहीं है वो भारत नहीं अपने स्वार्थ को ऊचा रखते है और इसी लिए जो नारे लगाते है …………हमें चाहिए आजादी ……….हम शर्मिंदा है ..तेरे कातिल जिन्दा है ……क्या आपमें इतनी हिम्मत है कि आप सच को कबूल सके !!!!!!( आतंकवादी से इतना ही सीख लेते वो मानते तो है कि आतंक के लिए जी रहे है )….डॉ आलोक चान्टिया अखिल भरित्ये अधिकार संगठन

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