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राष्ट्र गान सीखने वाले को पीटना ही राष्ट्रीयता है

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मालदा में शिक्षक राष्ट्र गान सिखाने पर पिटा ( सच्चा व्यंग्य )
अब जो देश के लिए जियेगा उसको ये सब तो झेलना ही पड़ेगा | गोली कौन खाता है जिसको देश के रक्षा की चिंता है तो अगर कोई शिक्षक इस लिए पीट दिया गया और उसका सर फोड़ डाला गया क्योकि वो मदरसे में बच्चो को राष्ट्र गान सीखा रहा था तो क्यों न मार खाता क्या मदरसे में राष्ट्र गान सिखाया जाता है ?? और जो काम वहां होता ही नहीं उसको अगर कोई करके गलत तस्वीर दिखायेगा तो भला उसको पीटा नहीं जायेगा | लोग कहते है कि ये देश की सच्चाई है कि आज भी कुछ धार्मिक लोग देश के राष्ट्र गान को अपना नहीं मान पाये है पर ऐसा कहना गलत है क्योकि राष्ट्र कोई गाने की चीज़ तो है नहीं इस लिए राष्ट्र गान को क्या गाना जिसे हिन्दू ने लिखा ( ऐसा उस शिक्षक को मारने वालो का दृष्टिकोण है ) सीखना है तो अशांति फैलाना , देश को असहिष्णु कहना सीखना चाहिए  और इसको सीखने के बजाये बच्चो को गान का अभ्यास कराना तो खुद के अस्तित्व को खतरे में डालना है | इस लिए मालदा में मार खाए शिक्षक की हिमाकत तो देखिये उसने सिखाया भी तो क्या राष्ट्र गान !!!!!!!!!! क्या ऐसा करना चाहिए था ?????????? डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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