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चोर स्थापित कर रहे है समानता का अधिकार

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चोरों ने स्थापित किया समानता का मूलाधिकार …..
संविधान में समानता का अधिकार मूल अधिकार के रूप में परिभाषित है पर आज तक हम इस के लिए बस प्रयास कर रहे है वो तो भला हो देश के चोरों का जिनका जिन्होंने पुलिस आई जी के घर चोरी की अभी कल उन्होंने एक आई ए एस के घर चोरी की और आज खबर छपी कि उन्होंने एक जज के घर चोरी की कुछ दिन पहले एक बैंक मैनेजर के घर चोरी की खबर छपी थी \ और जानकीपुरम में एक शिक्षिका के घर चोरी हुई थी जिसमे जेवर और नगदी गए थे | डॉक्टर का घर भी लूटा और सामान्य नागरिक के घर में हुई चोरियों की सीरीज तो पूछिये ही नही अब आप ही बताइये कम से कम चोरों ने तो वो कर दिखाया जो !!!!!!!!!!!!!! नही कर सके उन्होंने डंके की चोट पर समाज के हर वर्ग के घर चोरी की और जतला दिया कि उनके लिए अमीर गरीब , आई ए एस और क्लर्क में कोई फर्क नहीं है उनकी नज़र में सब बराबर है | चलो इस देश में कोई तो समझा सामंता का मतलब चोर ही सही अब आप ये ना कहियेगा कि देश में समानता क़ी बात करना ही बेकार है क्योकि कोई आपके दर्द को समझ कर रोज समानता लाने के लिए प्रयास कर रहा है पर सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न क्या देश के संविधान में ऐसे ही समानता को स्थापित करने क़ी वकालत  क़ी गयी थी  ??????? क्या चोरों से समानता क़ी परिभाषा को देश को समझना होगा ???? अब आप कर भी क्या सकते है आखिर चोर भी तो है आपके देश के ही !!!!!!!!!! जी नहीं मैं उनको चोर कैसे कह सकता हूँ आप कहना चाहिए कहिये क्योकि आप प्रजातंत्र में क्या नहीं कह सकते एक जबान चलाना  ही तो प्रजातंत्र है !!! कहिर आज रात चौकन्ने  रहिएगा क्योकि समानता का लक्ष्य आप भी हो सकते है अब ये ना कहियेगा कि १५ तारीख के बाद कुछ बचता कहा है ????? ( व्यंग्य ) डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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