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नेता ( से ….ना ) कहो

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नेता (से ….ना ) कहो ( व्यंग्य )
देश में पिछले ६० घंटों में ७ सेना के जवानो और अधिकारी की हत्या ???? कर दी गयी पर हम इसे हत्या नहीं वीरगति कहेंगे क्योकि हर साल देश पर मिटने वालों को हमें सम्मानित भी तो करना होता है तो उनके लिए कुछ सेना के लोगो का बेवजह???? मारना जरुरी है पर मेरे बेवजह कहने से क्या होता है आखिर जिन्होंने उनको मारा जब वो हमारे देश के नहीं है तो उनका मरना बेवजह कैसे हो सकता है ? आप मानिए ना मानिये वे सब शहीद ही है | और ये बात कितनी अजीब है कि अपने देशो में शहीदों की लिस्ट कम हो जाये इसी लिए देश की सीमा पर कही ना कही तो कुछ ऐसी व्यवस्था रखना होगा ना कि कोई भी आराम से घुस सके और सी सी टी वी और राडार की बात तो वो आज कल देश में लड़कियों की रक्षा के लिए लगे है तो पता ही नहीं चल पाता कि कब कौन किधर से देश में घुस आया और आने के बाद तो अतिथि देवो भव होता है और फिर तो चाहे देश लूट जाये हमें क्या पड़ी ( अलाउद्दीन ख़िलजी ने रतन सिंह की पत्नी पद्मनी का अपहरण ऐसे ही किया था | अंग्रेज ऐसे ही कंपनी बना कर देश में घुसे )| मजे दार बात ये है कि जिस पठान की यारी पर हमको नाज़ है वही पठान सबके सामने लहूलुहान होता रहा और हम सब कोट पहने खड़े रहे क्योकि कोई मुफ्त में तो सेना वालो को खिलते नहीं है आखिर इसी दिन के लिए तो वो देश में ताकि पठान में अपनी यारी की परीक्षा दे सके और परीक्षा दी भी पर जब परीक्षा रिश्तो को बना कर ली जा रही हो तो धोखा तो होना ही था ( अलाउद्दीन ख़िलजी ने अपने चाचा जलालुद्दीन ख़िलजी को इलाहाबाद में कड़ा के पास गले मिलते समय खंजर  से मार डाला था ) जिस लाहौर को को हमने कब्जे में ले लिया था ( भारत पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच गयी थी पर उस समय का सम्जहता आज तक नासूर बन कर टपक रहा है और हमारे सैनिक मर रहे है ) उसी लाहौर पर अभी हमारे मोदी जी अचानक चढ़ कर ये चेता आये थे कि लाहौर तक हम कभी भी पहुंच सकते है फिर भी हम आपको दोस्ती से ही नवाज़ना चाहते है पर उनको क्या पता था कि आप बिच्छू को अगर नदी के नादेर भी बचने का प्रयास करेंगे तो वो अपना डंक आपकी हथेली पर मरने से कभी नहीं चूकेगा और देखा हो गयी चूक !!!!!!!!!!! वो हमको चिड़िया ( सोने की चिड़िया कभी था भी भारत आज तो प्रदुषण के कारन जिन्दा चिड़िया भी नहीं बच रही है ) समझ रहा है इसी लिए बंदर बन कर हमारी सीख को सुनकर वो हमारे ही घोसलों ( पठानकोट एयर फ़ोर्से बेस ) को उखाड़ फेक रहा है | कब तक हम कहानी के पात्र बन कर चिड़िया को मरते देखते रहेंगे ??? क्या पाप का घड़ा अभी नहीं भरा क्या अधर्म अभी सर से ऊपर नहीं गया ?? क्या गीता के सत्य होने का वक्त अभी नहीं आया ?? पर आप सच क्यों सुने और बाबर तो हमारे देश का था नहीं इसी लिए उसकी बात क्यों करें जिसने मुठ्ठी भर सैनिक को ललकार के ऐसा उत्साह भरा कि इब्राहिम लोदी की सेना १५२६ में धूल चाटने लगी और देश में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना हो गयी  चलिए आपको बाबर का नाम सुन्ना गवाँरा नहीं तो राम को ही आदर्श मान लेते है जिन्होंने रावण जैसे तीनो लोको में डंका पीटने वाले को भालू बंदर के सहारे नेस्तनाबूत कर दिया तो क्या अभी समय नहीं आया राम राज्य स्थापित करने का ???? कही ऐसा तो नहीं सेना वालो को अहिंसा का पथ पढ़ा दिया गया है ( गांधी के अनुसार अंहिंसा का अर्थ है सबल होने बाद भी सामने वाले पर वार ना करना और उसको माफ़ कर देना ) पर उस पत्नी  का क्या दोष जिन्होंने देश के वीर पर भरोसा करके शादी की बच्चे पैदा किये काम से म उन वीरों को एक बार तो मौका देना चाहिए ताकि उनकी पत्नी कह सके कि जो भारत का आँचल वर्षो से पराधीन था वो आँचल फिर से माँ के मेरे पति ने लौटाया और इसी में वो शहीद हुए |पर शांति के नाम ही जब कुछ दिखाना है तो मैं भी बहती गंगा में हाथ धो लूँ कि मेरे देश के वीर जवानो ने जो किया उसके लिए उनको सलाम पर काश ये हमला रूस या अमेरिका के सैनिकों पर हुआ होता तो विश्व के मानचित्र से उस देश में धुएं के सिवा कुछ ना बचा होता | पर हम रूस और अमेरिका नहीं है हम उस देश के वासी है जहा कल ही बिना बात हमारे छह वीर हमको…………….. कर चले हम फ़िदा जाने तन साथियों .अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ………….कह कर सो गए पर किनके हवाले वो हमारा देश कर गए ?????? क्या नेता ????? आपको स्वीकार है ये !!!!!!!!! पर देखिये नेता …से …..ना कहना ( जब रोम जल रहा था तो नीरो बसुरीं बजा रहा था ..इस लिए नेता से कुछ ना कहिये इतना तो आप कर ही रहे है धन्यवाद )………डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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