Menu
blogid : 8015 postid : 1127452

नया साल मनाने की अनोखी प्रथा

all indian rights organization
all indian rights organization
  • 821 Posts
  • 132 Comments

सारा प्रेम बस एक तारीख तक ही !!!!!!!!!!!!!!(व्यंग्य)
कल ही की तो बात है जब २०१५ में ३१ दिसम्बर को १२ बजा नहीं कि हर तरह होड़ सी मच गयी कि कौन किसको सबसे पहले नया साल मुबारक हो ” कह ले अब आपके इतने उतावलेपन को देखकर ही सारी टेलीफोन मोबाइल सेवाओ ने अपने यहाँ एस एम एस पर दी जाने वाली छूट खत्म कर दी और करें भी क्यों ना आखिर भीड़ से उनको भी परेशानी होती है |यही नहीं आपके वर्ष भर के तनाव अवसाद जिंदगी की चिक चिक को समझते हुए ना जाने कितने होटल और रिसोर्ट वालो ने अपने यहाँ ५००० से ५०००० ( पचास हज़ार ) के टिकेट और कूपन बेच कर आपके लिए शराब और शबाब का इंतेज़ाम किया था और ये आपकी सोच गन्दी है जो सोचे कि इससे कुछ बुरा हुआ बल्कि रामदेव के योग ना कर पाने सारे लोग आज झूम के नाचे कम से कम उनके शरीर में कितनी लचक रह गयी है ये तो पता चला | मानिये ना मानिये क्या दर्शन है आपका .आज भला तो कल भला जब एक जनवरी को शराब शवाब ( जो लोग ज्यादा शरीफ है वो कृपया इस लाइन न पढ़े ) नाच गण , होटल पैसा सब का मजा लिया जायेगा तभी तो सारे वर्ष ये सब मिलेगा | वो कहते है ना कि जैसे बोओगे वैसा ही तो काटोगे अब अगर सारी रात राम राम करते रहेंगे तो पुरे साल आर्थिक प्रगति क्या क्या होगा ? देश में किसान इसी लिए तो मर रहा है कि उसके पास पैसा नहीं है |अब सरकार इन किसानो को कहा से लेकर सहायता दे जब आप ऐसी रातें बिताएंगे तब सरकार को ज्यादा से ज्यादा टैक्स मिलेगा और सरकार किसानो की मदद कर सकेगी आखिर कल्याणकारी राज्य का मतलब क्या है ??? जब तक मसाला खाकर आपको मुख का कैंसर ना हो और शराव पीकर किडनी और लिवर न बर्बाद हो तब तक डॉक्टर कैसे उच्च कोटि का शोध करके कैंसर की दवा बना सकेंगे अब इतना तो आप को करना ही होगा जब आप ऐसे मरेंगे तभी तो आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्यादा शराब इन पर दवा उपलब्ध होगी ताकि उनके लिवर और किडनी न ख़राब हो | मेरी बातो से पूरी तरह एक हार हुआ आदमी और निराश आदमी आपको दिखाई देगा क्योकि बुंदेलखंड में मरता किसान तो जय जवान है आपके लिए | हो सकता है कि मैं बिलकुल गलत कह रहा हूँ क्योकि आप जानते है कि ३१ दिसम्बर या १ जनवरी के बहाने जो मस्ती कर लेंगे कर लेंगे बाकि के ३६४ दिन तो आपको अपनी जिंदगी के होने पर तरस आता रहेगा और जिन्होंने आपको आज नव वर्ष की शुभकामना कहा होगा वही अगले ३६४ दिन आपको गिराने बर्बाद करने में लगा देंगे और ये तो चतुराई है आपकी जो आप लोगो के असली चहरे को जानते है और कल के दुःख आने से पहले आज ही सारी ख़ुशी जी लेना चाहते है | और आपको खुद ये पता है कि इस देश के दर्शन में अनेकता में एकता है तो ३६५ दिनों का मजा एक साथ जी लेने में बुराई भी क्या है | वैसे कितना अजीब लगता है जब अपने बड़ो के माता पिता के पैर छुओ उनका आने वाले समय के लिए आशीर्वाद लो | फिर घर में बनी कोई मिठाई कहो और ज्यादा हुआ तो चाय की जगह कोफ़ी पी लो और मिठाई की जगह गाजर का हलवा खा लो और फिर सो जाओ सुबह उठा भगवन का नाम लो और कहो कि मैं ही नहीं साड़ी दुनिया में ख़ुशी रहे ताकि मैं भी खुश रहूँ !!!!!!! कितना पुराण लगता है ये सब दुनिया कहा से कहा पहुंच गयी और हम आज भी वही पुरानी राग आलाप रहे है | अब जमाना बदल गया है और ये क्या कम से है कि आप कपडे पहन का घर में रह रहे है , शराब की जगह अभी भी अपनी पी रहे है | आपने अभी प्राइवेसी के नाम पर अपने माता पिता को घर से निकाला  नहीं है | वैसे क्या दो या तीन जनवरी को भी आप सभी के लिए नए साल के शुभ रहने का प्रयास कर पाएंगे या फिर शब्दों की ही माँ बहन करते हुए जिनके लिए आज अच्छा कहा है उनके पीठ खंजर मार देंगे !!!!!! माफ़  कीजियेगा अगर बुरा लगा हो पर बताइयेगा जरूर आप अपने कहे शब्द पर कितने दिन कायम रह सके क्योकि आपने पूरे साल के लिए कहा है नया साल मुबारक हो !!!!!!!!! है हिम्मत अपनी ही चुनौती का मुकबला करने की या फिर कारगिल के युद्ध में ही सारी ताकत दिखाएंगे !!!!!!!! अब तो सुधर जाइये कब तक सच कह कर झूठ बोलते रहेंगे , ठगते रहेंगे खुद को सब को …….नया साल शुभ हो अब तो कहना बंद कीजिये क्योकि आप राम के देश के है जहा ………प्राण जाये पर वचन ना जाये ( लेकिन आप तो वचन कह कर ही प्राण लेने लगे है क्या मैं गलत कह रहा हूँ )…….चलिए आप नहीं सुधरना चाहते है तो न सुधारिये कौन अमरौती खा कर आये है यहाँ और वो जीवन भी क्या जिसमे सिर्फ सच हो मूल्य , समर्पण हो …………….आप तो बस कहिये दम मारो दम ….मिट जाये गम .!!!!!!!! नहीं पसंद आया लीजिये दूसरा पेश है शराब चीज़ ही ऐसी है जो ना छोड़ी जाये …एक और .हम तुम एक कमरे में बंद हो और चाबी खो जाये …………..कितना मजा आया यही तो है नव वर्ष बाद में निपट लेंगे और सारे झमेलों से पर जाते जाते मैं आपके मन की बात कहे दे रहा हूँ रवींद्र नाथ टैगोर ने कहा था .एकला चलो रे …तो क्यों करें चिंता दुनिया जहाँ की क्योकि अब आप गेता का सार समझ चुके है ना कोई किसी का है और ना आप किसी के है .क्या लए थे क्या ले जाओगे इस लिए जो है यही है सब लूटा डालो क्योकि बंद मुट्ठी आये थे खुली मुट्ठी जाओगे तो आपको इस दर्शन को सत्य भी तो करना है तो लीजिये ३६५ दिन का मजा सिर्फ एक दिन में ………एक जनवरी को ( क्या ये सच है ) डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय  अधिकार संगठन

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply