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मुबारक हो मुबारक हो .लो नया साल आ ही गया ( व्यंग्य )
कितना मुस्किल होता है पूरे ३६५ दिन जिन्दा रहना पर आप विश्वास नही करेंगे कि अभी कुछ घंटे बाद हर आदमी एक पागल की तरह एक दूसरे को नए साल की मुबारक वाद देता मिल जायेगा मानों उसको विश्वास ही नहीं था क़ि वो पूरे साल जिन्दा रहेगा \ वैसे सोच तो सही रहा था क्योकि आदमी चींटी जो हो गया है | वैसे नया साल मुबारक क्यों ना कहे कोई आखिर पूरे साल सड़क दुर्घटना से वो बच कर आया है | उसकी हत्या आतंकवाद में नहीं हुई | उसका अपहरण नहीं हुआ | उसके घर पर किसी ने कब्ज़ा नहीं किया | उसके घर डकैती नहीं पड़ी | घर की लड़की जो घर से सुबह निकली तो शाम को सही सलामत घर वापस आ गयी | नौकरी की तलाश में बच्चो को अपने माता पिता को वृद्ध आश्रम में नहीं रखना पड़ा और वृद्ध आश्रम में रह रहे माँ बाप को उनके बच्चे विदेश से बराबर पैसा भेज कर एहसास कराते रहे कि वो अनाथ नहीं है | एक औरत किसी तरह इस लिए माँ बन गयी क्योकि उसको लड़का लड़की की जाँच नहीं करानी पड़ी
| इन सबसे बड़ी बात ये है आप दुनिया में फैली भुखमरी का शिकार नहीं हुए | आपके बिना पैदा हुए बच्चे का स्कूल में प्रवेश मिल गया | आपने प्रदुषण को कम करने के लिए अपने सारे बच्चो को मोटर साइकिल खरीद दी है आउट ट्रैन के धक्के खाने से बचने के लिए आपने खुद कार खरीद ली है |क्योकि आपको पता है कि कार्बन डाई ऑक्साइड से जिन दूभर होता जा रहा है पर आप हमेशा देश के लिए सोचते है इस लिए देश में आर्थिकी बढ़ावा देने के लिए आपने ये सब किया है आखिर देश बढ़ेगा तभी आप बढ़ेंगे | और और इन सबके अलावा आप इस लिए नए साल की मुबारक बाद देना चाहते है कि लगातार विश्व की जनसँख्या बढ़ने के बाद भी पृथ्वी उसके भार से अंतरिक्ष में इस साल भी गायब नहीं हो गयी तो अभी आप और बच्चे पैदा कर सकते है और आप के पास २०१६ में माँ पिता बनने के सुनहरे मौके है क्योकि कौन आपके एक बच्चा पैदा करने से धरती अंतरिक्ष में गिर जाएगी !!!!!!!!!!अब इतने कारणों के बाद भी आपसे क्या बताऊँ कि आप क्यों कहते है कि नया साल मुबारक हो नया साल मुबारक हो | क्या मैं सही कह रहा हूँ ————डॉ आलोक चान्टिया ,अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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