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निर्भया बेचारी …..कैसी संस्कृति हमारी

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प्रिये निर्भया ……..काश इस देश ने तुम्हारे मामले में उच्च शिक्षा की दलील दी होती
मुझे अब लगता है कि ये देश अद्भुत क्यों है ? यहाँ संस्कृति की विरासत हमको अंदर तक हिला देती है ? और शायद ऐसे ही अनोखे न्याय के लिए देश जगत गुरु रखा होगा !!!!!!!! शायद है | मैं उन ढोंगी लोगो की बात नहीं कर रहा जो १६ दिसम्बर २०१२ के आज आंदोलन कर रहे है कि निर्भया के दोषी को फांसी  दो आखिर क्या पिछले तीन आप कोमा में थे | तब भी तो आप इस देश की महिला की गरिमा के लिए आवाज उठा सकते थे | पर जब देश के न्यायालय की दलील सुनता हूँ तो मन दुखी होता है कि किशोर न्याय अधिनियम में तीन साल से ज्यादा बलात्कारी किशोर को रख नहीं सकते ? और जब नया कानून देश के सभ्य लोगो के लड़ाई झगडे के बाद आया तो उसको न्यायालय पिछले समय से लागू नहीं कर सकती | पर इस देश की इस अनोखी क़ानूनी प्रथा पर मैं निर्भया से कहूँगा कि अपने वकील को बताओ कि इस देश में एक संवैधानिक संस्था है विश्व विद्यालय अनुदान आयोग जो यू जी सी अधिनियम १९५६ के अनुसार देश भर के विश्व विद्यालयों और उनके अंतर्गत चलने वाले डिग्री कालेजो को नियमो से शासित करता है |मजे दर बात ये है कि इसी विश्व विद्यालय अनुदान आयोग ने भारत में शोध कार्य करने वाले पी एच डी के लिए वर्च २००९ में मानक तैयार किये है | अब जो इस मानक के अनुसार पी एच डी नहीं करेगा उसकी पी एच डी नहीं मानी जाएगी और २००९ तक यू जी सी ने खुद लोगो को नेट एग्जाम से छूट दे रखी है क्योकि उन्होंने पी एच डी २००९ में नियम बनने से पहले शोध पूरा कर लिया | पर अब कहा जा रहा है कि  ऐसे सभी लोग पी एच डी करने के बाद भी टीचर नहीं बन सकेंगे क्योकि इन लोगो पर आरोप है कि उन्होंने २००९ के मानक पुरे नहीं किये अब आप बताइये जब मानक आप २००९ में तय कर रहे है तो उसे २००९ के पहले वालो पर कैसे लागू कर सकते है और अगर ऐसा अनोखा नियम शिक्षा में लागू है या हो सकता है तो निर्भया का आरोपी क्यों नहीं नया कानून बनने के बाद सजा पा सकता है | प्रिये निर्भया अपने वकील से कहा कि वो न्यायालय से पूछे कि एक तरफ इस देश के संविधान में कानून की नजर में सब बराबर है ( अनुच्छेद १४ ) वही दूसरी तरफ शिक्षा में कानून पीछे से लागू हो रहा है तो क्यों नहीं मेरे बलात्कार वाले प्रकरण में इस का प्रयोग किया जा रहा है ? या तो शिक्षा में भी २००९ से पहले वालो को छूट दो या फिर बलात्कारी को जब भी संसद में आपसी लड़ाई के बाद कानून बन जाये तो उसको भी पीछे से सजा दो !!!!!!!!!!!!! क्या ऐसा विश्व के किसी देश में होता है कि जब जैसा चाहो कानून की ऐसी तैसी कर दो !! तभी तो ये देश ही विश्व गुरु है |( कृपया जो लिखा है उसको समझ कर आवाज उठाइये देश में शिक्षा के भ्र्ष्टाचार को समझिए जो किसी भी तरफ से निर्भया के बलात्कार की पीड़ा से कम नहीं है )
डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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