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हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई .ये कैसे भाई

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हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ..आपस में सब भाई भाई ( व्यंग्य )
हमारे देश की संस्क्तिति ही यही रही है कि हम सब आपस में भाई चारा बना कर रहे और इस के लिए हमारे देश में यहाँ तक व्यवस्था है कि जब भाई भाई आपस में साथ साथ ना रह पा रहे हो ( अक्सर लोग कह देते है कि बीवी के आने से घर टूट जाता है ) तो घर का बटवारा तक कर सकते है | अब इतनी अद्भुत व्यवस्था का फायदा भला अंग्रेज कैसे ना उठाते और भर को छोड़ते छोड़ते हिन्दू मुस्लिम दोनों भाइयों के बबीच शांति बनाये रखने के लिए बटवारा करा गए और हमको बुरा लगा पर क्योकि घर बाटने , संपत्ति बाटने की हमारी परम्परा रही है तो हम कुछ दिन उसको भूल गए | अब पाक कल तक तो हिंदुस्तान का ही हिस्सा था तो लाठी मरने से कोई पानी को तो अलग कर नहीं सकता और हमने उस परम्परा को जिन्दा रखते हुए पाक और बांग्ला देश बना डाला | पर अभी भी भाई भाई की भवन अंत होने का नाम नहीं ले रही है | क्योकि पाकिस्तान अंग्रेजो की कूटनीतिक चल थी | पाक में पाक बटवारा पाक का मामला है | वो बात अलग है की सिख में भाई  के नाम पर खालिस्तान बनाने की कोशिश की पर घर के बुजुर्गो के आगे वो बटवारा सफल नहीं हो सका और आज भी हिन्दू सिख भाई भाई बने है | ईसाई ने देश को १९४७ में देश को बात कर अपने भाई भाई होने का सबूत दे ही दिया था | अब बचे भारत के हिन्दू मुसलमान भाई भाई तो आजकल कश्मीर को लेकर साम्प्रदायिकता को लेकर दोनों लड़ रहे है आखिर भाई भाई दोनों सुकून से रहे तो बटवारा ही इस देश में हमेशा से एक सबसे आसान तरीका रहा है | अब तो आप समझ गए होंगे कि देश में हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई …आपस में सब भाई भाई का नारा क्यों दिया गया .क्या दर्शन था इसके पीछे ? पर भगवन न करें .माफ़ कीजियेगा अल्लाह , गॉड वाहे गुरु कोई ना करें कि हम सब भाई भाई बन कर रहे !!!! क्योकि जब तक भाई भाई बन कर रहेंगे तब तक देश बंटता रहेगा !!! इससे तो अच्छा है कि कम से कम हम सब सिर्फ भारतीय बन कर रहे तो देश तो नहीं बटेगा क्योकि जब बही नहीं होंगे तो कम से कम सभी का पूरा देश होगा और एक माँ और काटने पिटने से बच जाएगी ( अब ये बाद में बताऊंगा कि हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में बहन बहन क्यों नही ) तो आज से आप किसी हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख , ईसाई को अपना भाई कतई ना समझे ताकि देश अखंड बना रहे |( क्या इस व्यंग्य का दर्शन सत्य नहीं है ???) डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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