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महिला का सच आज भी !!!!!!!!!!!!!!!

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महिलाका चीर हरण और सब तरफ सन्नाटा ….
क्यों ना हो चीर हरण जब द्रौपदी का चीर हरण उसके पांच पतियों ( वैसे आज कल एक साथ तो नहीं पर इन्द्राणी मॉडल में कई के साथ रह सकते है ) के सामने ही रहा था तब वो अपनी पत्नी का चीर हरण इस लिए देखते रहे क्योकि अब पत्नी पर उनका कोई अधिकार नही रह गया था |तो इस देश में आप क्यों सोचते है कि कोई किसी लड़की को मार खाता देख कर बोले आखिर जब पत्नी शब्द जुड़ने के बाद पांडव नहीं बोले तो सड़क चलती लड़की के लिए कोई किस रिश्ते से बोले और वैसे भी इस देश में एक कहावत प्रसिद्द है कि लड़की की कोई जात नहीं होती | पर मुझे कहा इतनी  अक्ल इस देश के असली संस्कृति की | और दिमाग में बैठा लिया कि जिस देश ले नारी की पूजा होती है वही पर देवता रमते है ( वैसे भी इस देश के भ्र्ष्टा चार और अनैतिक कृत्यों के बढ़ते चलन के बाद मुझे ऐसा लगता है कि देवता न जाने कब देश छोड़ कर भाग गए ) तो भैया देवता इस देश में बने रहे इस लिए मैंने नारी सम्मान के लिए कट मरने की ठान ली वही ऐसे  भी लोग थे जिनको   द्रौपदी के चीर हरण में ही में मजा आ रहा था और उन्होंने कहा कि जब पांडव ( यह पर पांडव वो लोग  है जिन्होंने लड़की को मारे जाने का सरथान  किया और लड़की से बयान बदलवाया ) को कोई ऐतराज नही तो तुम कौन हो बोलने वाले ( सही भी है कृष्ण ने भी सामने आकर द्रौपदी की साडी को लम्बा नहीं किया था पर मैं कैसे समझता कृष्ण तो इस देश में अब है ही नहीं ) और बस नारी हो गयी सरकारी ( मतलब उसने अपना बयान बदला कर कह दिया उसको कभी मारा ही नहीं गया अब भला इस देश में कोई क्यों किसी के फ़टे में टांग डाले वैसे भी आ बैल मुझे मार कुछ मेरी तरह ही लोग कर पाते होंगे ) सारी कौरव की सेना ने मिल कर ये आरोप  लगाया कि अभिमन्यु ( अब क्या करूँ जब सब घेर कर मार रहे है धोखे से तो आज का अभिमन्यु तो मैं हो ही गया ) ने उनकी गरिमा की ऐसी तैसी की ( अपना भूल गए कि सार्वजनिक रूप से लड़की को मारने वाले के साथ खड़े होकर देश भर की लड़की की गरिमा को गली देते रहे पर ये बेचारे भारतीय भी क्या करें आँख से दृष्ट्र्राष्ट्र है और प्रजातन्त्रमे जिधर संख्या ज्यादा उधर ही विजय तो कैसे अभिमन्यु का साथ देते सब भीष्म बन कर चुप रहे आखिर सत्ता के खिलाफ कैसे बोलते ) और अभिमन्यु मार दिया गया | द्रौपदी भी चीर हरण के बाद जिन्दा रही और मार खाने वाली लड़की भी जिन्दा है पर जो बदला वो तब अभिमन्यु मरा था आज आलोक लेकिन आप से इस से क्या मतलब लड़की के साथ आप तब भी कुछ कर सकते थे आज भी कर सकते है | लड़की तब भी खिलौना थी आज भी है ( अब महिला संगठन वाले कहेंगे आपने कैसे कह दिया पर जब लड़की मारी जाती है तब बहरे हो जाते है ) आज पता नही क्यों पुराने घाव हरे हो गए पर आपको इससे क्या मतलब आपको तो हरियाली देखने का शौक है कुछ और घाव करिये ना कुछ तो दुनिया में आलोक फैलेगा आपके अपराध से आखिर आप इसी के तो शिक्षक है ????????? ( व्यंग्य मेरे जीवन की घटना है क्या लड़की कभी सच नहीं बोल सकती ) आलोक चान्टिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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