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भूकम्प और प्रेम की तीव्रता

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भूकम्प और प्रेम की तीव्रता
मुझे नहीं मालूम कि आज आपको कैसा लगा पर प्रकृति ( नारी ) की लगातार उपेक्षा ने जिस तरह अपने अस्तित्व का बोध कराया वो करीब ८७६ जान लेकर शांत हुई | पर इन सबके बीच मैं मानव मन को टटोलने में लगा था | लखनऊ के एक कालेज में कार्यरत में व्यक्ति की मंगेतर उससे नाराज चल रही थी ( जैसा उसने कहा ) और आज उसका बर्थ डे था अब वो परेशान कि कैसे उससे बात करें और तभी भूकम्प आ गया और भूकम्प बंद भी नहीं हुआ था कि उस लड़की का फ़ोन आ गया | पुरुष महोदय बहुत खुश हुए उनको इससे कोई मतलब नहीं कि कितने आज मर गए उन्होंने बस यही कहा कि वो मुझसे सच्चा प्यार करतीहै तभी तो नाराज होने के बाद सबसे पहला फ़ोन उसी का आया मेरा हाल जानने के लिए ………….शायद इसी लिए दुनिया के कई रंग होते है मेरी जान गयी उनकी अदा ठहरी .कही भूकम्प के दर के साये में लोगो की सांसे चलना मुश्किल है और कही भूकम्प से प्रेम की तीव्रता आंकी जा रही थी | सच है हम सिर्फ अपने लिए सोचते है | क्या आप ने मानवता की तीव्रता महसूस की या फिर आप भी ????????????????

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