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औरत होने के रास्ते में समानता का शब्द

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औरत और समानता
अपने देश में ही नहीं पूरे विश्व में औरत केलिए सबसे ज्यादा कानून बनाये गए है | आप कह सकते है कि फर्जी औरतों को सशक्त किया जा रहा है | क्या जरूरत है इन कानूनो की?? आप लोग बिलकुल सही सोच रहे है कोई जरूरत नहीं इन कानूनों की क्योकि जब हम आप अपनी तरह ही महिला के लिए भी सोचेंगे तो कानून की जरूरत कहाँ रह जाएगी पर अगर कानून घटने के बजाये दिन प्रतिदिन महिलाओं के लिए बनते ही जा रहे है तो आप मान भी लीजिये कि आज औरत को कानून के सहारे बराबरी के दर्जे पर लाया जा रहा है वरना हम उसको बराबरी पर देखना नहीं चाहते क्या आपको अभी भी नहीं लगता कि सैकड़ों कानून स्वयं में ये बताने के लिए काफी है कि औरत न जाने कितने मामलों में पुरुष से कम मणि जा रही है और उसको उस स्तर तक लेन के लिए जो प्रयास किया जा रहा है उसमे उस महिला को इतनी बाधाओं का सामना कर पड़ रहा है कि उसे कानून के सहारे सुरक्षित किया जा रहा है | पर मन से हम कब महिला को समान समझेंगे ???????????? क्या कानून की शून्यता महिला के लिए कभी आ पायेगी या वो हमेशा सामाजिक के बजाये विधिक महिला बन कर ज्यादा अपना जीवन बिताएंगी ??????खैर  आप मानिये चाहे न मानिये लीजिये औरत के साथ बलात्कार करने वाले को फांसी देने की तैयारी चल रही है !अब तो मान लीजिये कि मौत का भय दिखा कर औरत को पुरुष की तरह सड़क पर चलने निकलने का हौसला दिया जा रहा है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!! औरत के रहम पर जन्म पाने वालों के बीच औरत अपने लिए नये की मांग करती है शायद इससे अच्छा व्यंग्य क्या हो सकता है ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन )

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