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क्या आप मनुष्य नहीं है

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ख़बरदार जो मुझे जानवर कहा ……….
तुम मुझे जानवर कह कर व्यंग्य कर रहे हो !! मैं मनुष्य हूँ मनुष्य और मनुष्य का जीवन बड़े पुण्य कर्म करके मिलता है ८४ हज़ार योनियों से गुजरने के बाद तब कही जाकर मानव जीवन मिलता है | भगवन तक तरसते है मानव के रूप में धरती पर आने के लिए | और तुमने मुझको जानवर कहा| माफ़ कीजियेगा मुझसे शायद गलती हो गयी क्योकि मुझे तो आज तक पता था कि मानव को खत्म की राक्षसी आदतो को समाप्त करने के लिए भगवन ने ना जाने कितने जानवरो के अवतार लिए पर आप भी सही कह रहे है भला आप जानवर कैसे हो सकते है | किसी जानवर के समाज में क्या मजाल जो बिना मादा की मर्जी के कोई नर उसको छू भर ले | कितना सम्मान से जीती है गली की कुतिया भी जो रात दिन कही भी कभी भी आ सकती है लेट सकती पर कोई कुत्ता बिना उसकी मर्जी के उसके साथ कुछ नहीं कर सकता खैर आप मनुष्य है और कुतिया शब्द को लेकर आप मुझे बिना जानवर बनाये तो मानेंगे नहीं तो चलिए शेरनी , नागिन किसी का उदहारण ले लीजिये , सब कितनी सुरक्षित है उनकी अस्मिता के साथ शेर , नाग इतनी आसानी से खिलवाड़ नहीं कर सकते ? पर आप तो मानव है जिसने औरत को जब चाहा चाहा अनावृत किया , तेजाब फेका , ब्लैक मेल किया , और तो और शादी का तमगा लगाने के बाद तो पत्नी की इच्छा का कोई मतलब ही नहीं , बस आपकी हर भूख मिटने  के लिए ही तो मानव बने है आप और ऐसे योग तो लाखो साल में कभी कभी आते है और जब आप मानव बने है तो चूकिए नहीं आप जितने अतयाचार अनाचार , हिंसा औरत  के साथ कर सकिये कर डालिये  क्योकि आपके मानव के इसी उच्च कोटि के काम से ही तो ८४ हज़ार योनियों का अस्तित्व बना रहेगा | अब भला आप जानवर कैसे हो सकते है ? औरत को कोठे पर बैठा कर पैसा कमाना, दहेज़ के लिए जला देना , बेच देना , सोशल मीडिया में उसकी फोटो डाल का बदनाम करना भला जानवर क्या करेगा | ये तो दुनिया की सबसे सुन्दरतम कृति और करोडो पुण्य के बाद मिले मानव जीवन से ही उम्मीद की जा सकती है | सच में आप मनुष्य ही है ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

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