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हम मनुष्य क्यों ना बने ?

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क्या आप अप्राकृतिक है ?
हो सकता है कि आप को मेरी बात बुरी लगे और लगे भी क्यों ना क्योकि इसी शब्द के कारण तो उच्चतम न्यायालय को दखल देना पड़ा था | | लेकिन आप तो अप्राकृतिक  उसी दिन हो गए थे जब आपने संस्कृति बनायी थी | क्या संस्कृति प्राकृतिक  नहीं है ? भैया शादी करना भी तो अप्राकृतिक है और इसी लिए लोगो को अब यह रास नही आता है | जिसको देखो वही अप्राकृतिक होना चाहता है | क्या आपको अब भी लगता है कि जो कहा जा रहा है वह सही है और सही कहे भी क्यों ना ? जो पूरी पृथ्वी के सारे प्राणी कर रहे हो वही अगर मनुष्य भी करेगा तो भला उसको कौन अद्भुत समझेगा ? इस लिए वह वो करना चाहता है जो जानवर नहीं करते ! कोई मनुष्य बच्चा पैदा करने के लिए ही तो पैदा नहीं हुआ ? वो और भी इस शरीर से कर सकता है आखिर शरीर उसका है कोई जानवर का तो है नहीं कि उसकी कोई मर्जी ही ना हो | इस लिए शरीर की आजादी मिलेगी तभी तो वह कह सकेगा वह जानवर नहीं मनुष्य है | लेकिन भैया जानवर भी तो कह रहे है कि अगर जानवर नहीं हो तो क्यों कपडे उतारे दे रहे हो ? लेकिन नहीं वह तो आप कहेंगे कि मेरी मर्जी क्योकि मनुष्य कहलाने के लिए जरुरी है कि वो नंगा दिखायी दे , मेरा कहने का मतलब है मनुष्य को पारदर्शिता पसंद है ना तो वो हर काम में पारदर्शिता चाहता है फिर शरीर ही क्यों ढका रहे ? क्या आपको नहीं लगता कि हम जो भी कर रहे है वह तो यह सिद्ध करने के लिए कर रहे है कि सही अर्थो में हम जानवर से अलग दिखे | ये क्या कि नर और मादा रहे ! मजा तो तब जब नर और नर और मादा और मादा रहे , कम से कम मनुष्य ने कुछ तो जानवर से हट कर किया और आप है कि उसको अप्राकृतिक कह कर कोस रहे है ! क्यों नहीं मनुष्य को जानवर से ऊपर जाने दे रहे है ? क्या आप नहीं चाहते कि जानवर सा मनुष्य? ना लगे ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

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