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लोग ….नहीं नहीं पूरा भारत शायद भारत के लोग …………….बड़े परेशां है कि देश के पांच वीर सपूतो को पाक ने जान से मार डाला पर मेरी आँखों में कोई भी आक्रोश ना देख कर मेरे एक मित्र ने कहा वैसे तो बड़ा देश भक्ति बघारते रहते हो अब क्यों नहीं दो शब्द देश भक्ति के फूट रहे है ……………..मैंने कहा कि क्या गलत हुआ पाक ने पाक( उर्दू के इस शब्द का मतलब पवित्र ) होता है ) काम ही तो किया है …….आप ही के देश में कहा जाता है जैसा नाम वैसा काम तो पाक ने पाक काम कर दिया अब इस में क्या कहूँ …………..मेरी बात सुनकर वो सज्जन बोले हमें ना मुर्ख समझते है क्या मुझको भी मालूम है कि पाक का मतलब क्या होता है पर वो पाक एक जज्बे और दिल का मसला है और ये पाक एक देश है …………..मैं उनकी बात सुन कर हस दिया और बोल आप बिलकुल सही फरमा रहे है कि ये पाक और वो पाक में फर्क है पर १९४७ में इस पाक को आपने ही माँ के आंचल से बनाया था क्या माँ के आंचल से ज्यादा कुछ भी पवित्र है तो आज उसकी आंचल में कत्ले आम हो रहा है तो उसको गलत कैसे कहे ………….और इस लिए पाक को आज तक लगता है कि वो जो भी कर रहा है वो पाक के अलावा कुछ भी नहीं है ……………..और करे भी क्यों ना ….आखिर कटे हुए अंग ( भारत को काट कर पाक बना ) या तो बदबू करते है या फिर सड़ जाते है और उसी कि बदबू से आप का दिल फटा जा रहा है तब आप कहा चले गए थे जब किसी काम को करने से पहले दो बार सोचने की इस देश में नसीहत दी जाती थी ………………….अब कटे फटे अंगो वालो के साथ कुछ तो समझौता करना पड़ेगा ……………..वह सज्जन मेरी बात सुनकर झुंझला उठे ..पता नहीं आप क्या क्या बके जा रहे है यहा तो हमारे सैनिक चले गए वह आप कटे फट अंग समझा र्रहे है ………….जी जी मैं बिलकुल सही कह रहा हूँ अगर इस कटे फटे अंग को सही नहीं किया गया तो इस अंग में इतने कीड़े पद जायेंगे कि लोगो का चलना दूभर हो जायेगा ……..हवा में बदबू फ़ैल जाएगी यही नहीं ना जाने कितने रोग ( इर्ष्या, घृणा और ना जाने क्या क्या ) फ़ैल जायेंगे …आज आप को सिर्फ इस रोग से मरने वाले पांच दिखाई दे रहे है तब क्या करेंगे जब जिसे देखो वही इस रोग का शिकार हो जायेगा ….हर घर से रोने की आवाज़ आएगी …………..इसका इलाज खोजिये …दवा जरुरी है …जब जानवर पागल हो जाये तो या तो मार दो या फिर जेल में डाल दो ………………अभी भी मैं सही कह रहा हूँ की पाक के जो किया वो सही किया …….कटे अंगो से अक्सर मवाद निकलता है और उसके दर्द से बिलबिला कर कुछ भी हो सकता है ………या तो अंग को जला दो या फिर और कीड़े पड़ने का इंतज़ार कीजिये ……………और फिर देखिये पागलपन का मजा ……………..वैसे भी बिना पैसे के मजा लेना हम सब की पुरानी आदत है ……………तो क्या कुछ और सैनिको को और भेज कर खेल का मजा पूरा ले ही ना लिया जाये ………….क्या मैं गलत कह रहा हूँ ( यह सिर्फ व्यंग समझ कर पढ़ा जाये )
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