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प्रेम

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मैंने घर के सारे दरवाजे बंद कर लिए है …….
बंद कमरे में उसके संग सिमट लिए है ……………
अब कोई नहीं कहता आलोक बदचलन तुमको …….
जिस्म से लिपटी मौत खुलेआम जी लिए है …………….. ये दुनिया अजीब है और मैं उस अजायबघर का नायाब  जानवर ………..मनुष्य !!!!!!!!!!!!! आप भी तो मनुष्य ही है ना ………..शुभ रात्रि

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