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शरीर का क्या है …………….मिटटी का बना होता है …….और मिटटी के खिलौने बनाने और उसको तोड़ने में हम सब को बचपन से ही महारत हासिल होती है …………………क्या यह सही नहीं है कि हम मिटटी से कुछ ज्यादा ही खेलने लगे है …..हा यह सच है कि मिटटी में खेलने से शरीर मजबूत बनता है पर खेलने में यह ध्यान रखना जरुरी है कि कही कीचड़ न बना डाले हम मिटटी को ..वैसे तो पारवती जी मिटटी से गणेश कि उत्पत्ति कर दी थी और अर्जुन और किरात के युद्ध में अर्जुन ने मिटटी के ही शिवलिग को बना कर किरात बने शिव का पहचान पाए थे और अर्जुन को शंकर का धनुष मिल गया था पर हम तो जब देखो जहाँ देखो मिटटी के खिलौए से खेलते रहते है बस में , सड़क पर जहा पाया वही मिटटी के खिलौने को रौंद दल पर अर्जुन नहीं बन पाए कभी हम सब को मिटटी के शरीर में माँ , बहन , और देवी नहीं दिखाई दी और हुआ क्या शंकर के बजाये हम खुद संकर बन गए …………..हा हा आपको मेरी बाते क्यों समझ आएँगी .आप तो मिटटी से बर्तन धोते है और मिटटी को राम से समुद्र पर पुल बनाते समय शिवलिंग बनाने में प्रयोग करा था क्योकि हनुमान को शिवलिंग लेन में देरी हो रही थी …पर हम तो मिटटी के शिवलिंग बना ही नहीं पाए हा मिटटी से बने होकर भी लोगो की जिन्दगी को पत्थर की बनाते रहे है ……………..मिटटी न होती तो क्या पेड़ पौधे , घास फूस और अनाज पाते????????????????? पर आप का शरीर भी तो मिटटी का है और आप कुछ नहीं बना पा रहे …..सृजन के बजाये हम मिटटी के शरीर से सिर्फ कीचड़ बनाना सीख पाए ……अच्छा मैं सही नहीं हूँ तो क्यों कमल नहीं खिला पाए ………………सिर्फ मिटटी के शरीर से आप क्या चाहते है ……सिर्फ १६ दिसम्बर की चीख …………………अस्पताल में अपाहिज सा जीवन जी रही एक मिटटी की मूरत ……………………..लीजिये मिटटी और सोचिये आपके शरीर में कहा है ??????????????? कीचड़ मिटटी का ही रूप है पर ………………..आप उसमे खड़े कैसे होंगे ………………..वैसे सूअर को कीचड़ बहुत पसंद है और मिटटी को कीचड़ बनाना ही उनको आया .पर शरीर टी मिटटी का ही होता है ना …………….तो आप क्या मिटटी का मतलब समझ रहे है आय फिर कीचड़ बनाने वाला ..सु ???????????????? सोचिये अगर आप आदमी है नहीं तो ……मैं कौन होता हूँ कि आप ?????????????????? मिटटी का तन !!!!!!!!!!!!!!!! क्या अभी भी आप का मन …………………………
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