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भारत में एक नेता का नाम बताइए जो पूरे देश का नेता हो ………………………….आप एक आम आदमी !!!!!!!!!!!!!!!!!! क्यों आपको विश्वास आएगा आखिर आप अपने को आम आदमी जो नहीं मानते !!!!!!!!!!!!!!!!! तो फिर आप हुए न आम आदमी से इतर एक विशेष आदमी ????????????????? इस देश के नेता ….जी जी आप को पागलपन का दौर पड़ता है क्या ????????? आप क्या कहना चाहते है गाँधी , नेहरु , लोहिया , अम्बेदकर, देश के नेता नहीं है ??????????? नहीं है …क्या नेहरु को कभी समाजवादी पार्टी के बैनर पर देखा या समाजवादी पार्टी के लोगो को कभी नेहरु की बात करते देखा ??????????????? क्या कांग्रेस के बैनर पर लोहिया को देखा …………………..कभी बहुजन समज्वादी पार्टी के साथ लोहिया को देखा ????????????????? आरे भाई ये तो देश के नेता थोड़ी न है ये सब तो पार्टी के नेता है …………………आप भी रोज रोज न जाने क्या क्या कहते रहते है ………….कभी कहते है कि यह देश ही नहीं है .यह तो माँ है …………कभी बताते है कि कुत्तो कि संख्या बढ़ रही है ….लोग कुत्तो से डरने लगे है .और आज ये ये कि देश का नेता कोई नहीं है ……….क्या आपको लगता है कि आप ही सब समझ पाते है ?????????????? जी नहीं मैं तो कह रहा हूँ कि जिसे आप देश कह रहे है वह .किसी को राष्ट्र पिता कहने पर लोग बवाल मचा देते है कि कैसे उनको राष्ट्र पिता कहा गया और सरकार तक कह देती है कि उनके यहाँ के रिकॉर्ड में यह नहीं दिया गया है कि उनको अधिकारिक रूप से राष्ट्र पिता कहा गया ……………..पर पूरे देश को राष्ट्र पति पर कोई आपत्ति नहीं है और हो भी क्यों क्योकि शायद हम लोग पिता से ज्यादा पति शब्द को समझते है …………….आखिर पति के लिए हम कह सकते है कि है है ये मज़बूरी …………ये मासूम और ये दूरी???????????? पिता के लिए कोई व्रत है क्या पर पति को पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत करके प्राप्त करने का प्राविधान है .अब आप बताइए हम राष्ट्र के पति का विरोध क्यों करे जिसको पाने के लिए इतने उपाए करने पड़ते है और पिता तो जब चाहे जहा चाहे कोई भी बन सकता है तो इतनी सरल बात को हम इतना महत्तव कैसे दे सकते है …जब हम इकिसी एक को पिता मनाने तक को तैयार नहीं है तो राष्ट्र का एक नेता कैसे कैसे मान पाऊ………………हा पति एक मानने को हम तैयार है यानि हमारे देश में प्राकृतिक रिश्ते से ज्यादा बनाये रिश्ते का महत्त्व है .और इसी लिए इस देश में लोग आते गए और हम उनको अपने देश में बसाते गए …………….आखिर गरीब की बीवी सबकी सरहज ………………..तो फिर एक नेता कैसे जितनो को पनाह दिया उतने के नेता को स्वीकारो और पूछो कि अतिथि देवो भाव का मतलब क्या है और अतिथि को क्या नेता बन्ने का अधिकार है ??????????? है तो नहीं तो अंग्रेज कैसे रह पाते यहाँ पर और आपको तो कुछ कभी नहीं आता रहा आखिर आप दुसरो के दिल को कैसे दुख देता ………..आप तो हार में जीत का सिद्धांत लेकर चलते है …………तभी आप १८८५ में अंग्रेज की बनायीं पार्टी की लाश आज तक ढो रहे है …………………..और हम काम क्यों करे क्योकि मूल भारत के लोग कौन है ये तो आप आज तक अह जान पाए ………और आप तो इस सिद्धांत पर चलते है कि भले ही सौ मुजरिम छुट जाये पर एक निर्दोष को सजा ना मिले तो आप कैसे किसी भारतीय को मूल नागरिक कह दे और दिल दुखन आपकी आदत है ही नहीं …………… इसी लिए तो अपना संविधान तक नहीं बनाया …..इतने देशो से चुराया कि माखन चोर भी शरमा गए आपकी इस करतूत पर …………………आखिर भारत में अगर किसी भी देश का आदमी गलती से या जान बूझ कर रह गया हो तो उसको यह तो ना लगे कि इस देश का संविधान उसके देश से अलग है .अब भी आपको लगता है कि कोई नेता इस देश का है ??????????????? क्या आप इस देश के नेता है ?????????????????
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