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हर कोई अपनी ख़ुशी पाना चाहता है …………..
हर कोई नव वर्ष मुबारक कहना चाहता है ………………….
वो खो गयी न जाने कहा इस भारत में आलोक ………………..
क्या उसकी हसी को कोई फिर पाना चाहता है ……………………
क्यों मनाये आज कालिमा में डूबे इस पल को हम ………………
क्या ऐसे ही मनाएंगे हम उसके जाने का ग़म……………………..
ऐसे ही माँ को बाँट कर हम नाचे थे १९४७ में ……………….
आओ आज की रात जाग ले जब तक है दम में दम ………………………….. शायद हम सबको एक मौन के साथ इस नव वर्ष में अपने आप से यह पूछना चाहिए कि क्या वर्ष २०१३ में जब किसी लड़की को जरूरत पड़ेगी तो हम जाती , धर्म , रिश्ते से दूर सिर्फ उसको उसकी हिफाजत के लिए आगे आयंगे …………………….सोचिये और देखिये क्या आपने एक बार सच्चे मन से देश के लिए सोचा है ????????????????? उस भारत की बिटिया को क्या हम आज की रात देकर पूरे वर्ष का भारत नव वर्ष सा कर सकते है ………………..देश है आपका ..सोचना है आपको ……………..अलविदा २०१२ एक नहीं कई बलात्कार के साक्षी वर्ष के रूप में ……………………………शुभ रात्रि २०१२ अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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