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ना रात है ना दिन का उजाला …………………..नीला न गगन ना ही पूरा काला……………………..पूरब का न सूरज न ही पश्चिम का …………………..समय ला रहा आलोक का प्याला ………………..कुहासे में डूबी प्रकृति का श्रंगार ……………………..ओस की बूंद अमृत सी नही हाला …………………एक बार अंगड़ाई लेकर बाहर देख लो ………………………जीवन तोड़ रहा है कैसे तमस का जाला……………….मैं आज सुबह सुबह पूरब की तरफ देख कर यह लिख रहा हूँ और न मुझे सूरज मिला और न ही चाँद बस है तो समय जो तमस को तोड़ कर पूरब ले लाली लेन की तैयारी कर रहा है ……………..क्या आपने कभी प्रकृति का आनंद लिया …………..नही तो कहिये सुप्रभात तुरंत
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