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रात गयी बात भी गयी …………..लेकर सपनो की बारात गयी …………….रोक भला कौन पाया है उसको ………………..आराम की हर अब बात गयी …………….लेकिन अपने पीछे जो छोड़ा ………………..वो देकर पूरब का साथ गयी ………….देखो कैसा चमक रहा सूरज है …………………आलोक से नहलाने के बाद गयी ………………….ऐसा नही है कि जीवन में सब कुछ ख़राब ही होता है …रात जब जाती है तो कालिमा सपनो से दूर हमको हमरी मंजिल , सूरज के साथ छोड़ जाती है तो फिर कहिये सुप्रभात
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